राजसूययज्ञ के समय अर्जुन बहुत से राजाओं को जीतकर अपार धन लाए थे, इस कारण उनका एक नाम 'धनंजय' हो गया और 'देवदत्त' नामक शंख इनको निवातकवचादि दैत्यों के साथ युद्ध करने के समय इंद्र ने दिया था । इस शंख का शब्द इतना भयंकर होता था कि उसे सुनकर शत्रुओं की सेना दहल जाती थी ।
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