
'हृषीक' इंद्रियों का नाम है, उनके स्वामी को 'हृषीकेश' कहते हैं तथा हर्ष, सुख और सुखमय ऐश्वर्य को निधान को 'हृषीकेश' कहते हैं । भगवान इंद्रियों के अधीश्वर भी हैं और हर्ष, सुख और परमैश्वर्य के निधान भी, इसीलिए उनका एक नाम 'हृषीकेश' है । पांचजन्य नामक शंख - रूपधारी एक दैत्य को मारकर भगवान ने उसे शंखरूप से स्वीकार किया था । इससे उस शंख का नाम 'पांचजन्य' हो गया ।
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