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Friday 13 March 2015

♥ SOLAR IMPULSE -2 ♥

♥ सोलर इंपल्स-2 - विश्व का पहला सौर विमान विश्व यात्रा पर ♥

→ पूरी तरह सौर ऊर्जा से चलने वाला विश्व का पहला विमान सोलर इंपल्स-2 अपनी विश्व यात्रा के दौरान भारत भी आया। अबु धाबी से उड़ान भरकर यह विमान ओमान में मस्‍कट के पहले ठहराव के बाद अहमदाबाद में उतरा, जहाँ से ये वाराणसी पहुंचा। अहमदाबाद से वाराणसी के बीच की 1071 किलोमीटर की दूरी सोलर इंपल्स ने 65 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से 15 घंटे में पूरी की।

→ विश्व यात्रा के दौरान सोलर इंपल्स-2 के 12 पड़ावों के दौरान तीन बड़ी यात्राएं 100 से 120 घंटे के बीच होंगी। सबसे अधिक दूरी चीन के नानजिंग से अमेरिका के हवाई द्वीप तक की रहेगी। सोलर इंपल्स-2 जुलाई के अंत में या अगस्त तक विश्व का चक्कर लगाकर अबु धाबी पहुंचेगा।

→ कार्बन फाइबर से बने एक सीट वाले इस विमान के पंखों की चौड़ाई 72 मीटर है जो बोइंग 747 से भी ज्यादा है।

→ इसका वजन केवल 2,300 किलोग्राम है, लगभग एक कार के वजन के बराबर।

→ इसके चौड़े पंखों पर 17,248 सोलर सेल  लगे हैं, जो दिन में ही बैटरी को चार्ज करके इतनी ऊर्जा जुटा लेते हैं कि विमान रात में भी बिना किसी कठिनाई के उड़ सकता है और ईंधन भरने जैसे झंझटों से पूरी तरह मुक्त रहते हुए बिना नीचे उतरे लंबी दूरी तय कर सकता है।

→ इसमें चार लिथियम ऑयन बैटरी भी लगी हैं, जो रात की उड़ान में मदद करती हैं। ।

→ विमान के कॉकपिट का आकार 3.8 क्यूबिक मीटर है, जो पब्लिक टेलीफोन बूथ जितना बड़ा है।

→ इस विमान ने 2013 में अमेरिका में परीक्षण उड़ान भरी थी।

→ अपनी विश्व यात्रा के दौरान यह विमान लगभग 35 हजार किलोमीटर की दूरी तय करेगा।

→ यह विमान एक बार में 400 किलोमीटर तक उड़ान भरने में सक्षम है।

→ इस प्लेन का कंट्रोल रूम मोनाको में है, जहाँ वहां मौजूद इंजीनियर्स इसके वैश्विक सफर पर नजर रख रहे हैं।

→ इसके लिए एक मोबाइल हैंगर भी है, जब सोलर इंपल्स-2 उड़ नहीं रहा होता तो इसी हैंगर में खड़ा होता है।

→ इस विमान का सबसे बड़ा संदेश है ईंधन के खर्च और प्रदूषण से मुक्ति। इसी संदेश को प्रसारित के उद्देश्य से विमान के फाउंडर और पायलट बर्ट्रेंड पिकार्ड और आंद्रे बोर्शबर्ग जनसंपर्क का अभियान भी साथ-साथ चला रहे हैं।

→ इस विमान का उद्देश्य यात्रियों को ले जाना नहीं, बल्कि यह दर्शाना है कि आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके ईंधन की खपत को कम किया जा सकता है।

→ सोलर इंपल्स नामक यह सौर विमान वैमानिकी के क्षेत्र में नया दौर लाने वाली तकनीकी क्रांति का वाहक सिद्ध हो सकता है। इसके लिए इस प्रयोग को आगे बढ़ाते हुए इस विमान को मौजूदा जरूरतों के अनुरूप ढालने का प्रयास करना होगा।

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