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Friday 22 January 2016

♥ AK - 47 रायफल ♥

AK-47 राइफल से तो आप ठीक से परिचित होंगे, लेकिन आप शायद ही जानते होंगे कि आखिर इसके पीछे की कहानी क्या है? इसे किसने बनाया होगा और क्यों बनाया? क्यों ये सबसे खास है और इसकी मांग इतनी क्यों है? आज हम आपको दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली बंदूक के बारे में कई दिलचस्प बातें बता रहे हैं जिनसे शायद आप हैं। आगे की स्लाइड्स में देखें इस बंदूक की खासियत।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के 106 देशों की सेना इस बंदूक का इस्तेमाल करती है और इस बंदूक का ब्लू प्रिंट किसी प्रयोगशाला और कई वैज्ञानिकों के बीच तैयार नहीं हुआ था, जबकि अस्पताल के बैड पर पड़े बीमार व्यक्ति के दिमाग में तैयार हुआ था।

इस बंदूक का आविष्कार मिखाइल कलाश्निकोव ने किया था, जिनके देहांत को हाल ही में दो साल हो गए हैं। मिखाइल कलाश्निकोव के नाम से ही इस स्वचालित रायफल का नाम रखा गया है, और यह दुनिया का सबसे ज्यादा प्रचलित और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला हथियार है।

AK-47 राइफल से तो आप ठीक से परिचित होंगे, लेकिन आप शायद ही जानते होंगे कि आखिर इसके पीछे की कहानी क्या है? इसे किसने बनाया होगा और क्यों बनाया? क्यों ये सबसे खास है और इसकी मांग इतनी क्यों है? आज हम आपको दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली बंदूक के बारे में कई दिलचस्प बातें बता रहे हैं जिनसे शायद आप हैं। आगे की स्लाइड्स में देखें इस बंदूक की खासियत।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के 106 देशों की सेना इस बंदूक का इस्तेमाल करती है और इस बंदूक का ब्लू प्रिंट किसी प्रयोगशाला और कई वैज्ञानिकों के बीच तैयार नहीं हुआ था, जबकि अस्पताल के बैड पर पड़े बीमार व्यक्ति के दिमाग में तैयार हुआ था।

इस बंदूक का आविष्कार मिखाइल कलाश्निकोव ने किया था, जिनके देहांत को हाल ही में दो साल हो गए हैं। मिखाइल कलाश्निकोव के नाम से ही इस स्वचालित रायफल का नाम रखा गया है, और यह दुनिया का सबसे ज्यादा प्रचलित और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला हथियार है।

बताया जाता है कि मिखाइल ने कई सालों तक इसका पेटेंट भी नहीं करवाया था और ना ही इससे ज्यादा पैसे कमाए थे।

यह मिखाइल का ऑटोमैटिक हथियार है, इसलिए इसका नाम दिया गया आवटोमैट कलाशनिकोवा, जिसे बाद में ऑटोमैटिक कलाश्निकोव कहा जाने लगा। शुरुआती मॉडल में कई दिक्कतें थीं, लेकिन साल 1947 में मिखाइल ने आवटोमैट कलाशनिकोवा मॉडल को पूरा कर लिया। बोलने में मुश्किल होने की वजह से इसे संक्षिप्त कर AK-47 कहा जाने लगा।

AK के सिर्फ AK-47 मॉडल ही नहीं है अब तो इसके कई मॉडल बाजार में उपलब्ध है, जिसमें AK-74, AK-103 आदि शामिल हैं।

AK-47 वह हथियार है, जिससे पानी के अंदर से हमला करने पर भी गोली सीधे जाती है। गोलियों की गति इतनी तेज होती है, कि पानी का घर्षण भी उसे कम नहीं कर पाता है।

यह बेहद सिम्पल राइफल है और बहुत आसानी से इसका निर्माण किया जा सकता है, इसलिए दुनिया में यह एक मात्र ऐसी राइफल है, जिसकी सबसे ज्यादा कॉपी की गई है।

यह एक मात्र ऐसा हथियार है, जो हर प्रकार के पर्यावरण में चलाया जा सकता है और एक मिनट के अंदर इसे साफ किया जा सकता है।

इस राइफल में पहले की सभी राइफल तकनीकों का मिश्रण है। अगर विस्तार से देखें तो इसके लोकिंग डिजाइन को एम1 ग्रांड राइफल से लिया गया है।

इसका ट्रिगर और सेफ्टी लोक रेमिंगटन राइफल मॉडल8 से लिया गया है, जबकि गैस सिस्टम और बाहरी डिजाइन एस.टी.जी.44 से लिया गया है।

इस राइफल को सेमी आटोमेटिक और आटोमेटिक दोनों तरीको से चलाया जा सकता है इस राइफल में रीकोइल तकनीक से पुराने कार्तोस गिरते जाते हैं और इसके झटके से नए कारतूस आ जाते है।

इस राइफल में 7.62*39 मिलीमीटर के कारतूस आते हैं जो 710 मीटर प्रति सैकेंड की गति से जाते है।

इसकी रेंज करीब 400 मीटर हैं यानि इसकी गोली 400 मीटर तक जाती है।


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