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Thursday, 7 August 2014

♥ रक्षासूत्र श्लोक ♥

♥ राखी  / रक्षासुत्र बाँधते वक्त बोला जाता श्लोक ♥

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येन बद्धो बलीराजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वाम भिबध्नामि  रक्षे माचल माचल।।

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→  मंत्र का सामान्यत: यह अर्थ
लिया जाता है कि दानवों के
महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे,
उसी से तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे!
(रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो,
चलायमान न हो। धर्मशास्त्र के
विद्वानों के अनुसार इसका अर्थ यह है
कि रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण
या पुरोहत अपने यजमान को कहता है
कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के
महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में
बांधे गए थे अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किए गये
थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं,
यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं।

इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से
कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना,
स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षा सूत्र
का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने
यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित एवं
प्रयुक्त करना है।

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