इंदौर. शहर के पश्चिम क्षेत्र में दुनिया की सबसे ऊंची गणेश प्रतिमा की स्थापना 1875 में की गई थी। 25 फीट ऊंची प्रतिमा बनाने में ईंट, चूने, बालू, मैथी दाने के साथ ही हीरा, पन्ना, मोती, माणिक और पुखराज जैसे रत्नों के पावडर का इस्तेमाल किया गया है। इस सामग्री में काशी, अयोध्या, उज्जैन और मथुरा की मिट्टी मिलाकर सभी तीर्थों के जल से मिश्रण तैयार किया गया था। कैसी है ये विशाल प्रतिमा...
दुनिया में गणपति की सबसे ऊंची मूर्ति
-पश्चिमी इंदौर में स्थित बड़े गणपति की 25 फीट ऊंची मूर्ति को दुनिया में गणपति की सबसे ऊंची मूर्ति माना जाता है।
-इस मंदिर का निर्माण 1875 में किया गया था। किंवदंतियों के अनुसार, अवंतिका (उज्जैन) के श्री दाधीच ने रात में भगवान गणेश की मूर्ति का सपना देखा और अगले दिन वहां मंदिर बनवाने का फैसला लिया।
-यह इस मूर्ति के विन्यास का किस्सा भी दिलचस्प है।
सभी तीर्थों का जल मिलाकर बनाई प्रतिमा
-गणपति की मूर्ति बनाने में ईंट, बालू, चूना और मैथी के दाने के मसाले का इस्तेमाल किया गया था।
-इसमें सभी तीर्थों का जल और काशी, अयोध्या, अवंतिका और मथुरा की मिट्टी को मिलाने के साथ ही घुड़साल, हाथीखाना, गौशाला की मिट्टी और पंचरत्न के पावडर ( हीरा, पन्ना, मोती, माणिक और पुखराज) का भी समावेश है।
-मूर्ति का ढ़ांचा सोने, चांदी, पीतल, तांबे और लोहे से बना है।
1875 मे एसी दिखती थी प्रतिमा
25 किलो सिंदूर और 15 किलो घी के मिश्रण का चोला
-यह मूर्ति प्राचीनता से ज्यादा अपने आकार के लिए प्रसिद्ध है।
-मंदिर में विद्यमान गणपति मूर्ति संभवतः विश्व में सबसे बड़ी है। नख से शिख तक मूर्ति की ऊंचाई करीब 25 फीट है।
-बड़े गणपति को साल में चार बार चोला चढ़ाया जाता है। एक बार चोला चढ़ाने में 15 दिन लगते हैं। चोला एक मन का होता है, जिसमें 25 किलो सिंदूर और 15 किलो घी का मिश्रण होता है।
(प्रकाश परांजपे, संग्रहालय अध्यक्ष पुरातत्व विभाग के अनुसार)
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