આ બ્લોગમાં વર્તમાનપત્રો, મેગેઝિનો, વિકીપીડીયા,GK ની વેબસાઇટો, વગેરે માધ્યમોનો સંદર્ભ તરીકે ઉપયોગ કરવામા આવેલ છે જે માટે સૌનો હ્રદયપૂર્વક આભાર વ્યક્ત કરુ છુ.બ્લોગથી મને લેશમાત્ર આવક નથી.જેની નોંધ લેશો.

Wednesday, 10 August 2016

♥ रुद्राक्ष उत्पत्ति की कथा ♥


शिव महापुराण के अनुसार भगवान शिव ने रुद्राक्ष उत्पत्ति की कथा माता पार्वती को कही है। एक समय भगवान शिवजी ने एक हजार वर्ष तक समाधि लगाई। समाधि से उठने पर जब उनका मन बाहरी जगत में आया, जगत के कल्याण की कामना वाले महादेव ने जब अपनी आंखें खोली तब उनके नेत्रों से अश्रु धारा पृथ्वी पर गिर पड़ी। उन्हीं से रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए और वे शिव की इच्छा से भक्तों के हित के लिए समग्र देश में फैल गए। उन वृक्षों पर जो फल लगे वे ही रुद्राक्ष हैं। वे पापनाशक, पुण्यवर्धक, रोगनाशक, सिद्धिदायक तथा भोग मोक्ष देने वाले हैं। कहा जाता है जितने छोटे रुद्राक्ष होंगे उतने ही अधिक फलप्रद हैं। वे अष्टि को दूर करके शांति देने वाले हैं। रुद्राक्ष की माला धारण करने से पाप और रोग नष्ट होते हैं। साथ ही सिद्धि मिलती है। भिन्न-भिन्न अंगों में भिन्न-भिन्न संख्या वाले रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होता है। शिव पुराण में इसका विस्तृत विवेचन है।


No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.