" मेरा राम भी तु, रहीम भी तु,
खुदा भी तु है, भगवान भी तु..
पूजा करू या पढुँ नमाज तेरी,
माला में तु है, तावीज भी तु..
चाँद के रूप में चमकता है तु
बीज भी तु है, है ईद भी तु..."
- विक्रम सोलंकी 'जनाब'
इबादत अगर दिल से की जाए, तो इसकी पहुंच खुदा तक होती है. आज रमजान ईद है, ऐसे में सभी मुसलमान भाई ईश्वर को याद कर अपने और इस दुनिया के लिए सुख-शांति की कामना कर रहे हैं. लेकिन कुछ लोग इससे भी बढ़ कर काम कर रहे हैं. दिल्ली स्थित मक्की मस्जिद में इन दिनों रमज़ान खोलने के वक़्त में गायत्री मंत्र के स्वर सुनने को मिल रहे हैं. चौंकिए मत! ये ख़बर पूरी तरह से कंफर्म है. रोज़ा खोलने के लिए मौलाना कुरान शरीफ की आयतों की जगह गायत्री मंत्र की जाप कर रहे हैं. वो भी पूरे मुस्लिम बंधु-बांधवों के साथ.
अब पूरी ख़बर को मीठी सेवइयों की तरह पढ़ें, अच्छा लगेगा.
आए दिन रोज़ा इफ्तार में कई संप्रदाय के लोग साथ आते हैं. देखा जाए तो हमारे हिन्दुस्तान में ये कोई नई बात नहीं है. कुछ नेता तो इसे पब्लिक स्टंट की तरह भी इस्तेमाल करते हैं. ख़ैर, हम आपको बताना चाहते हैं कि दिल्ली के दिल्ली गेट स्थित मक्की मस्जिद में स्थिति इसके बिलकुल उलट है. यहां रोज़ा गायत्री मंत्र के उच्चारण के साथ तोड़ा जाता है. और इस मौके पर हिंदू-मुस्लिम सहित सिख और ईसाई संप्रदाय के लोग भी मौजूद होते हैं l
38 सालों से होता आया है l
सर्व-धर्म-समभाव की मिसाल पेश करने वाली इस मक्की मस्जिद का एकमात्र लक्ष्य 'हमारा नारा-भाईचारा' है. यह कार्यक्रम पिछले 38 साल से चला आ रहा है. सबसे अच्छी बात ये है कि इसमें कई स्वयंसेवी संस्थान भी सहयोग करते हैं.
संघ की कोशिश से ऐसा हुआ
इमरजेंसी के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ बेग जेल में थे. ऐसे में उनके रोजों का इंतजाम संघ के लोगों ने ही किया. तब से पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ बेग सर्व धर्म रोजा इफ़्तार करवा रहे हैं I
यहां मुस्लिम भी गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से गुरेज नहीं करते l
इफ़्तार में शामिल वहां न कोई हिन्दू होता है, और ना ही मुसलमान. वहां होता है तो सिर्फ़ हिन्दुस्तान और यही है हमारे देश की पहचान. हमें गर्व है अपने देश पर और यहां रहने वाले देशवासियों पर. जब तक देश में ऐसी सोच बनी रहेगी, तब तक हमें कोई अलग नहीं कर सकता है I
‘मुझे भी तीर चलाना है समय आने पर,
मेरे मालिक मुझे अर्जुन का निशाना दे दे
हिंदू को ईद मिले और मुसलमां होली खेले,
हिंदू मुस्लिम में वही प्यार पुराना दे दे’
- अज्ञात
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Source :-
Amar Ujala
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